गीतांजलि पोस्ट/डेस्क टीम
फुलेरा:– कस्बे के समीपवर्ती गांव सामोता का बास में बुधवार को औषधीय पौधों की अधिक पैदावार एवम नवीन तकनिकी कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला आयोजक डॉ नरेश भाग के मुताबिक क्षेत्र में अनियमित मानसून ओर सिंचाई के अपर्याप्त संसाधनों के कारण किसान को कम लागत और सुरक्षित खेती व ज्यादा मुनाफा मिले। इसके लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक परिषद भारत सरकार की केंद्रीय औषधीय पौध संस्थान (CIAMP)लखनऊ के तत्वाधान में इस ग्राम में यह कार्यशाला का आयोजन किया। युवा किसान सीताराम कुमावत और राजु चोधरी के खेत पर किया गया। कार्यशाला का उद्धघाटन वरिष्ठ एवम मुख्य पादप जेब वैज्ञानिक डॉ वी आर सिंह ने किया। इस अवसर पर कृषि विशेषज्ञ
डॉ ऋषि ने किसानो को बताया कि यहाँ की जमीन पर कम पानी और कम लागत से औषधीय फसल जैसे केमोमाईल, तुलसी मेन्थोल अरोमा की बहु वर्षीय फासलेंबउगाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि केमोमाईल जिसका तेल औषधि के काम में आता है। इस फसल को नवंबर दिसम्बर मे बोया जाता है। जो 75 से 90 दिन पक जाती है और एक बार बोने के बाद पांच साल तक चलती है और साल में दो बार फसल ली जा सकती है। इस फसल की खास बात यह है कि यह काम सिंचाई, काम लागत से होती है और इसमें खरपतवार नहीं होती तथा इसको नील गाय और अन्य जानवरो से कोई खतरा नहीं रहता है। इसके फूलो से एक एकड़ में तीन किलो तक तेल प्राप्त किया जा सकता है।जिसका बाजार मूल्य लगभग 25 हजार रूपये किलो होता है। कार्यशाला में सांभर उपप्रधान मनोज यादव, सरपंच प्रतिनिधि मुकेश यादव सहित सैंकड़ों किसानों ने कार्यशाला में भाग लेकर औषधीय फसल उगाने का तकनिकी ज्ञान प्राप्त किया।