गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा
सांभर लेक:- फुलेरा विधानसभा क्षेत्र को सृजित हुए 67 साल हो रहे हैं लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र का मुख्य कस्बा सांभर आज भी अपने विधायक को तरस रहा है। इलाके के अन्य प्रमुख कस्बों का व आंचलिक प्रतिधिनित्व तो मिला है, जैसे रैनवाल अंचल से 1962 मे स्वतंत्र पार्टी के सागरमल, 1985 मे जनता दल के लक्ष्मी नारायण किसान और 1998 मे नानूराम ककरालिया कांग्रेस से विधायक रहे हैं। इसी तरह फुलेरा से निर्मल कुमावत 2008 से लगातार तीन बार विधायक हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि सांभर या नजदीकी ग्रामीण इलाकों से किसी को विधानसभा क्षेत्र में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है।
अभी तक फुलेरा विधानसभा की कहानी:
फुलेरा विधानसभा क्षेत्र 1957 मे सृजित हुआ था। तब कांग्रेस से सांभर के वरिष्ठ नेता दीनदयाल शर्मा एडवोकेट ने कांग्रेस से टिकट मांगी थी, लेकिन उनकी बजाय पी के चौधरी को कांग्रेस ने टिकट दे दी थी। पी के चौधरी विधायक बन गये। 1962 के विधानसभा चुनाव में पंडित दीनदयाल शर्मा ने फिर टिकट मांगी, लेकिन उन्हें फुलेरा की बजाय दूदू से टिकट दिया गया। तब दूदू विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 52344 थे, 56.79 प्रतिशत मतदान हुआ। उनके सामने स्वतंत्र पार्टी से अमरसिंह उम्मीदवार थे, इस समय महारानी गायत्रीदेवी का बोलबाला था। अमरसिंह यह चुनाव 10651 वोटों से जीत गये।
पंडित दीनदयाल शर्मा ने 1967 व 1972 मे फिर टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला। 1977 मे जब जनता पार्टी की लहर थी, तब भी पंडित दीनदयाल शर्मा ने टिकट मांगा, लेकिन टिकट दूदू के चौधरी मांगीलाल को दे दिया गया, जो जनता पार्टी के डा. हरिसिंह से पराजित हो गए।
1980 के विधानसभा चुनाव में पंडित दीनदयाल शर्मा का नाम मजबूती से कांग्रेस टिकट के लिए चला। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामकिशोर व्यास उनके पक्ष में थे, लेकिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता शीशराम ओला ने जनता पार्टी छोड़ कर कांग्रेस मे आए डा. हरिसिंह के लिए पैरवी की और डा. हरिसिंह टिकट ले उड़े। उसके बाद से दो बार 1998 व 2013 को छोड़कर सभी समय कांग्रेस के टिकट डा. हरिसिंह या उनके परिवार या उनके बताए अनुसार ( 1997 के उपचुनाव में) दिए गए। कुल 7 बार तदनुसार टिकट दिए गए, लेकिन जीत तीन बार 1980, 1990 व 1993 मे हासिल हुई। वर्तमान शताब्दी में दो बार डा. हरिसिंह को 2003 व 2008 मे टिकट दिया गया और एक बार 2018 मे उनके पुत्र विद्याधर चौधरी को टिकट दिया गया, लेकिन तीनों बार यह परिवार चुनाव नहीं जीत पाया।
बात सांभर के जनप्रतिनिधित्व की:
विधानसभा में सांभर की आवाज़ न होने के कारण यह इलाका विकास के दृष्टिकोण से पिछड़ गया। आजादी के पूर्व जयपुर व जोधपुर स्टेट मे सांभर जिला मुख्यालय था, लेकिन आजादी के बाद यह दर्जा छीन लिया गया। लेकिन विधानसभा में सांभर की आवाज नहीं होने के कारण हक होने के बाद भी सांभर जिला नहीं बन पाया। इसी तरह ब्रिटिश शासन के लिए रैवेन्यू व रोजगार का बड़ा स्रोत सांभर नमक उद्योग लगातार क्षीण होता चला गया, लेकिन किसी भी विधायक ने इसकी बहबूदी लौटाने के सार्थक व परिणामदायक प्रयास नहीं किए। ऐसे में जरूरत महसूस की जा रही है कि विधानसभा में कोई ऐसा पहुंचे जिसका जन्म सांभर मे हुआ हो और जो यहाँ की स्कूलों में पढ़ा हो। यहाँ की माटी मे पला-बढ़ा ही यहाँ के मर्म व दर्द को महसूस कर सकता है और विधानसभा में शिद्दत से आवाज़ उठा सकता है।
अन्य मुख्य दलों की बात करें तो 1972 मे जनसंघ से एडवोकेट मकरध्वज कयाल ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वे जीत नहीं पाए।
जिला बनाओ आंदोलन को देखकर एक बात तो स्पष्ट है कि सांभर वासी सांभर के लिए पूरी तरह एकजुट हैं। चाहे जिला बनाओ आंदोलन के तहत बंद रखना हो या जयपुर जाकर सिविल लाइंस फाटक पर धरना देना हो, सांभर के नागरिकों ने दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर सांभर को अहमियत दी है। यह अहमियत हर सांभर-वासी के दिल में है। इसे देखकर लगता है कि सांभर से कोई गूदड़ी का लाल अगर कांग्रेस या भाजपा से टिकट लेकर आता है, तो सांभर कस्बे का संपूर्ण समर्थन उसे मिल सकता है।
भाजपा में अभी तक सांभर से किसी ने फुलेरा विधानसभा चुनाव लड़ने की खातिर टिकट के लिए कोशिश शुरू नहीं की है। कांग्रेस से एक शताब्दी पुराने कांग्रेस परिवार से कैलाश शर्मा ने टिकट के लिए आवेदन किया है। इस क्रम में वे जयपुर जिला देहात कांग्रेस के फुलेरा ब्लॉक आब्जर्वर ओंकारमल लांबा, किशनगढ़ रैनवाल ब्लाक आब्जर्वर घनश्याम सिंह एडवोकेट, प्रदेश कांग्रेस से फुलेरा ब्लाक प्रभारी पी एल प्रजापति, जिला प्रभारी आर सी चौधरी, संभाग प्रभारी रमेश खंडेलवाल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, कांग्रेस के राज्य प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, सह प्रभारी अमृता धवन, कांग्रेस के जिला आब्जर्वर राव दानसिंह, संभागीय आब्जर्वर किरण चौधरी, प्रदेश आब्जर्वर मधुसूदन मिस्त्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर अपना प्रस्तुतिकरण दे चुके हैं।
कांग्रेस से टिकिट के मुख्य दावेदार:
फुलेरा विधानसभा क्षेत्र से कुल 26 आवेदकों ने कांग्रेस मे टिकट के लिए बायोडाटा प्रस्तुत किए हैं। जो प्रमुख नाम चर्चा में हैं, उनमें कैलाश शर्मा के अलावा भंवर सारण, गोपाल गीला, हरिप्रसाद शर्मा, सुरज्ञान घोसाल्या, बजरंग ककरालिया, विद्याधर चौधरी, मदन एचरा, रामनारायण किसान, सरोज लाखराण, अजित सिंह, सरलाल नील आदि शामिल हैं।
जहाँ तक बात टिकट की है, तो यह कांग्रेस के लिए क्रूशल अर्थात टफ सीट मानी जा रही है, क्योंकि विगत 6 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल एक बार जीती है। अतः यहाँ की टिकट का फैसला जल्दबाजी में नहीं होगा और बहुत संभव है कि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख के 2-3 दिन पहले हो।
फिलहाल सांभर की चाहत है यहाँ से कोई विधानसभा में पहुंचे ताकि न केवल सांभर बल्कि पूरे इलाके की आवाज पुरजोर शब्दों में उठाए।