गीतांजलि पोस्ट एडिटर/रेणु शर्मा
“मानो तो मौज नहीं तो समस्या रोज”
जीने के अलग अंदाज हैं मेरे
मानो तो मौज नहीं तो समस्या रोज
हैं शिकायतें तो हैं अपनापन भी
शिकायतें भी उन्ही से जिनसे हैं अपनापन
ख़ुदा न बदल सका इंसान को
इंसान हैं जिनसे बदल डाले खुदा
खत्म हो जाता हैं ओहदा और पद
लेकिन दिलों में जिंदा रहता हैं इंसान
मानो तो मौज नही तो समस्या रोज
यही है कहानी जिंदगी की
माना जिद्दी होती हैं मंजिलें
लेकिन जब हम जिद पर होते है
तो वहां तूफान भी हार जाते हैं
एक छोटा सा शब्द है लगन
लग जाता हैं तो बदल देता हैं जीवन
संबंध कभी जीतकर नहीं निभाए जाते
अपनों को जिताने के लिये खुद को हराना होता है
झुकना होता है सहना होता हैं
यह वहीं कर सकता हैं
जिसे होती हैं समझ रिश्तों की
वरना मतलब के रिश्तें रखने वालों को
तो कोई हरा हरा भी नहीं सकता
कर देती हैं गुमराह
गलत सोच और गलत अंदाजा
आधे लोग तो रिश्ते भी
यही सोच कर निभा रहे हैं
की काम पड सकता हैं
तभी हम कहते हैं
जीने के अलग अंदाज हैं मेरे
मानो तो मौज नही तो समस्या रोज
यही है कहानी जिंदगी की
लेखिका© – रेणु शर्मा