HomeUncategorizedसंत जिनके प्रभाव से भगवान ने फेर लिया अपना मुख

संत जिनके प्रभाव से भगवान ने फेर लिया अपना मुख

फतेहपुर | राजस्थान में शेखावाटी के फतेहपुर में दादूपंथ में एक संत भीखजन जी महाराज हुए थे जिनको समाज के कुछ लोगों ने मंदिर से निकाल दिया था उसके बाद संत ने मंदिर के बाहर तपस्या की जिसके प्रभाव से मंदिर में भगवान की मूर्ति ने स्वतः अपना मुख उस दिशा में कर लिया जिस दिशा में संत भीखजन जी महाराज तपस्या कर रहे थे |

बताया जा रहा है लगभग 400 साल पहले की की घटना है जिस समय फतेहपुर में जातिवाद अपने चरम पर था, समाज में कोई छोटा तो कोई बड़ा होता था जिसका प्रभाव लोगों पर ही नहीं बल्कि मंदिर तक भी पहुंच चूका था । फतेहपुर के नगर सेठ आराध्य भगवान् श्री लक्ष्मीनाथ जी का मंदीर भी उससे अछूता नही था उस समय हिंदुओ की ही कुछ जातियों को मंदीर में प्रवेश की दर्शन की अनुमति नहीं थी |

संवत 1683 के समय फतेहपुर में दादू पंथी संतो का खूब प्रभाव था उनमे से ही एक थे आचार्य कुल के संत शिरोमणि भीख जन जी महाराज | हिन्दू समाज के कुछ जातिवादी लोगों ने भीखजन जी महाराज को मंदीर प्रवेश नही करने दिया इससे नाराज होकर भीखजन जी महाराज मंदीर के पीछे इस पोष महीने की सर्दी में बिना कुछ खाये पिये भगवान् की साधना करने लगे जिससे प्रसन्न होकर भगवान लक्ष्मीनाथ जी की प्रतिमा ने भीखजन जी महाराज की ओर मुख कर लिया |

भगवान् की प्रतिमा के मुह फेरने की घटना सारे शहर में फैल गयी लोगों ने मंदिर के पीछे जाकर देखा तो भीखजन जी महाराज साधना में लीन थे तब लोगो को समझ आया की उन्होंने संत का अनादर किया है | सभी लोगो ने संत भीखजन जी महाराज से क्षमा याचना की और सब भक्तो को आदर के साथ मंदीर प्रवेश मिला तब से ठाकुर जी के मंदीर में भेद भाव समाप्त हुआ सबको मंदीर प्रवेश ठाकुर जी के दर्शन का सौभाग्य मिला|

उसके बाद उन्होंने “भीख बावनि” की रचना की भगवान् कृपा करके अपने भक्त पर खुश हुए और अपना मुह भक्त की तरफ घुमा लिया और दर्शन दिया। जो दोहा आज भी मंदीर के मुख्य दुवार पर शोभा पा रहा हैं।
“सोलह सो तिरासिये अचाराज कुल कर भीख जन अपनो जानी के दियो दर्श मुख फेर”

छुआछूत को हटाने के लिए सर्वसमाज इनका ऋणी हैं इन्होंने सबके लिए तपस्या की सत्याग्र किया और मंदीर प्रवेश दिलवाया साक्षात भगवान् को धरती पर ले आये जिनकी रचना भीख बावनि पोष महीने की पूर्णिमा को सम्पन हुई इस लिए इसी दिन को भीख पूर्णिमा के रूप मे मनाया जाता रहा है साथ ही संत भीखजन जी महाराज की याद में हर वर्ष पोष माह की पूर्णिमा को शोभायात्रा निकली जाती है | हमेशा की तरह इस बार भी भीखजन जी महाराज की 13 जनवरी को शोभा यात्रा निकाली जा रही हैं |

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