शाही स्नान को लेकर इतिहास और धर्म के जानकारों के बीच अलग-अलग मत हैं। जहां धर्म को जनाने वाले कहते हैं कि, यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। उनका मानना है कि, ग्रहों की विशेष स्थिति में किए जाने वाले स्नान को शाही स्नान की संज्ञा दी जाती थी। वहीं इतिहास के जानकार मानते हैं कि. मध्यकाल के दौरान साधु-संतों को
विशेष सम्मान देने के लिए राजाओं के द्वारा उन्हें कुम्भ में सबसे पहले स्नान की अनुमति दी गई थी। उनके लाव लश्कर को देखकर ही महाकुंभ के स्नान को शाही स्नान कहा जाने लगा।
