तेरापंथ भवन में आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी ललित कला ने कहा कि पर्युषण जैन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है जिसे आत्मशुद्धि,संयम और साधना का पर्व माना गया है।
आठ दिन के पर्युषण का मुख्य उद्देश्य आत्मचिंतन,आत्मसंयम और क्षमा भाव को बढ़ावा देना है।
इस दौरान उपवास, स्वाध्याय, प्रवचन, तपस्या और प्रार्थना में लीन रह कर आत्मावलोकन करने का पर्व है।
यह पर्व आत्मविश्लेषण, करुणा और अहिंसा की भावना को जाग्रत करता है ये कहते उन्होंने भगवान महावीर के 27 वें भव का वाचन किया ।
इस दौरान तपस्या करने वालों का श्रावक श्राविकाओ अभिनंदन किया गया ।
साध्वी योग प्रभा,साध्वी समृद्धि प्रज्ञा,साध्वी मंजुला श्री ने भी उद्बोधन दिया इस दौरान गीतिका संगान,पौषध भी किया गया।