HomeUncategorizedप्रभु प्राप्ति का भेद बताने वाले वक्त गुरु का लूणकरणसर आगमन।

प्रभु प्राप्ति का भेद बताने वाले वक्त गुरु का लूणकरणसर आगमन।


आत्मा को परमात्मा से मिलाने का भेद लेकर मानव जीवन सफल बना लेना चाहिए। ———————————

सतसंग व नामदान वक्त गुरु बाबा उमाकान्त महाराज द्वारा किया गया प्रदान ।


लूणकरणसर के तेजा भवन, शिव भवन जाट धर्मार्थ संस्थान
में महापुरुषों की सनातनी शिक्षा-दीक्षा से जैसे-जैसे लोग दूर होते गए वैसे ही बुराइयों की आग में जलते गए खान-पान, नशाखोरी, चरित्र पतन के साथ नास्तिकता बढ़ गई है जिससे घर-घर में लडाई, झगड़ा, बीमारी, टेंशन, दुख, तकलीफों से इन्सान घिरता जा रहा है।

प्राकृतिक आपदा, विश्व युद्ध की संभावना बढ़ती जा रही है इन्ही सभी बुराइयों को छोड़ने शाकाहार के सिद्ध प्रचारक बाबा उमाकांत महाराज कस्बे में पहुंचे।

इतिहास गवाह है की बिना महापुरुषों के इन संकटों से बचना मुश्किल ही नहीं असंभव भी है समय-समय पर महापुरुष आकर इन संकटों से हमें बचाते रहे है ऐसे ही एक महापुरुष बावा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बाबा उमाकान्त महाराज हरियाणा, हिमाचल, पंजाब के विभिन्न जिलों में कार्यक्रम करते हुए लूणकरणसर पधारे जहां उन्होंने सतसंग करते हुए नामदान प्रदान किया ।

उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं, दुख, तकलीफ, पीड़ा, गरीबी से बचने के उपाय के साथ मानव तन की सफलता व आत्म कल्याण के मार्ग को प्रशस्त किया ।

उनके दर्शन करने सतसंग सुनने व उनके द्वारा बताई गई साधना विधि से हर तरह के संकट व तकलीफों से मुक्ति मिलती है ।

यहां ये गौरतलब है संस्कारी जीवों पर दया करने बाबा उमाकान्त महाराज ने 22 जुलाई 2013 गुरु पूर्णिमा को अपने गुरु महाराज के आदेश से जयपुर में विशाल जन समूह की उपस्थिति में खुले मंच से नामदान देना प्रारंभ कर दिया उसी समय से बाबा उमाकान्त महाराज अपने गुरु के पदचिह्नों पर चलते हुए देश-विदेश में घूम-घूम कर लोगों को शाकाहारी, नशामुक्त, मेहनतकश, ईमानदार, चरित्रवान, देशभक्त रहने का उपदेश तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ लोगों को गृहस्थ आश्रम में रहते हुए मनुष्य शरीर रूपी मन्दिर यानी जिस्मानी मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारे में ही प्रभु के दर्शन-दीदार करने का तरीका भी बता रहे हैं अपने गुरु के मिशन अर्थात इस धरा पर सतयुग लाने, गौ हत्या, मानव हत्या, पशु-पक्षी की हत्या बंद कराने और लोगों को शाकाहारी, सदाचारी तथा नशामुक्त बनाकर आत्म कल्याण कराने के काम में निरंतर लगे हुए हैं परम् सन्त बाबा उमाकान्त महाराज अभी तक एक करोड़ से ऊपर लोगों को नामदान दे चुके हैं जिसकी साधना करने से लोगों को लौकिक और पारलौकिक दोनों प्रकार के लाभ का अनुभव हो रहा है।

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