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साहित्य का काम मनोरंजन नहीं समाज का प्रदर्शन है-डॉ.पाठक(कालू में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की लूणकरनसर ईकाई की काव्य गोष्ठी )

कालू कस्बे मेन मंगलवार को जगदंबा यात्री निवास के प्रशाल में आयोजित अखिल भारतीय साहित्य परिषद बीकानेर के तत्वावधान में कवि गोष्ठी में देर तक श्रोताओं की तालियां गूंजती रही । इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जोधपुर प्रान्त के अध्यक्ष डॉ अखिलानंद पाठक ने बोलते हुए कहा कि साहित्य का उद्देश्य संस्कृति का संरक्षण और समाज को दिशा देना है ।कवि गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि महंत मोहनदास महाराज और शुकदेव मुनि महाराज ने कहा कि मोजूदा दौर में समाज अद्योपतन के दौर से गुजर रहा है ।ऐसे समय में साहित्य की प्रासंगिकता अधिक बढ़ जाती है । कवि गोष्ठी की शुरुआत सीकर के कवि कैलाश दान कविया ने सरस्वती वंदना से की ।वहीं जब कविया ने “आटा साटा के चकरां में बाबुल ….’ सहित कई रचनाएं सुनाई तो पांडाल तालियों से गूंज उठा । अनिल कुमार रजन्यंश सरदारशहर, भगवती पारीक मनु , पूनमचंद गोदारा ,छैलू चारण छैल ,पवन सियाग अनाम ,सरोज शर्मा ,कान्हा शर्मा ,भवानी शंकर सारस्वत आदि ने अपनी रचनाओं पर खूब तालियां बटोरी । जगदंबा ट्रस्ट के अध्यक्ष जंवरीमल बोथरा व हंसराज नाई ने आगंतुक कवियों का सम्मान किया । अखिल भारतीय साहित्य परिषद लूणकरणसर ईकाई के सहसंयोजक कैलाश चन्द्र शर्मा ने आगन्तुकों का धन्यवाद प्रकट किया । मंच संयोजन कवि लेखक कमलकिशोर पिपलवा ने किया ।

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