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  • हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर हुआ रंगारंग कार्यक्रम

    हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर हुआ रंगारंग कार्यक्रम

    गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा

    सांभर लेक:- नववर्ष आयोजन समिति के तत्वाधान में हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर सांभर स्थित स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष दीनदयाल कुमावत थे। कार्यक्रम में देश के ख्यातिमान कलाकारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुतियां दी गई। कलाकारों की प्रस्तुति देखकर उपस्थित सभी लोग भाव विभोर हो गए।

    दीनदयाल कुमावत ने अपने उदबोधन में कहा कि हमें अब अंग्रेजी नववर्ष की जगह हिंदू नववर्ष को हर्षोल्लास से मनाना चाहिए। नववर्ष आयोजन समिति द्वारा उपस्थित सभी अतिथियों का माल्यार्पण करके व शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। जयपुर से आए कलाकारों ने राधा कृष्ण और कृष्ण सुदामा की मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में सांभर – फुलेरा जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक विवेक शर्मा, विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष शिवजी राम कुमावत, आशीष गर्ग, कल्याण चौधरी सहित अनेक अतिथियों ने कार्यक्रम में अपनी शिरकत की।

  • हिंदू नववर्ष पर क्या है विशेष

    गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद

    जयपुर:- भारतीय नव वर्ष प्रारम्भ –
    संवत २०८० चैत्र शुक्ल प्रतिपदा बुधवार 22 मार्च 2023

    यज्ञोवै श्रेष्ठतमं कर्म।
    स्वर्ग कामो यजेत्।

    अग्निहोत्र है देवयज्ञ सर्वोपरि कर्म
    सर्वहितकारी।
    वायु मण्डल होता है शुद्ध सुख पाते सभी
    प्राणधारी॥

    यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म सर्वदा जो प्राणी अपनाता है।
    लोक और परलोक सुधारे मन वांछित फल पाता है :-पण्डित अनंत पाठक

    भारतीय नववर्ष का धार्मिक, पौरानिक व ऐतिहाशिक महत्व:-

    चैत्रे मासि जगत् ब्रह्म ससर्ज प्रथमे हनि
    शुक्ल पक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति॥

    कहा जाता है कि ब्रह्मा ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की संरचना शुरू की।
    उन्होंने इसे प्रतिपदा तिथि को प्रवरा अथवा
    सर्वोत्तम तिथि कहा था। इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं।

    इस दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्र घटस्थापन, ध्वजारोपण, वर्षेश का फल पाठ आदि विधि-विधान किए जाते हैं।
    चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसन्त ऋतु में आती है। इस ऋतु में सम्पूर्ण सृष्टि में सुन्दर छटा बिखर जाती है

    संवत के महीनों के नाम आकाशीय नक्षत्रों के उदय और अस्त होने के आधार पर रखे गए हैं।

    सूर्य में अग्नि और तेज हैं और चन्द्रमा में शीतलता, शान्ति और समृद्वि का प्रतीक सूर्य और चन्द्रमा के आधार पर ही सायन गणना की उत्पत्ति हुई है। इससे ऐसा सामंजस्य बैठ जाता है कि तिथि वृद्धि, तिथि क्षय, अधिक मास, क्षय मास आदि व्यवधान उत्पन्न नहीं कर पाते। तिथि घटे या बढ़े, लेकिन सूर्यग्रहण सदैव अमावस्या को होगा और चन्द्रग्रहण सदैव पूर्णिमा को ही होगा।

    नया संवत्सर प्रारम्भ होने पर भगवान की पूजा
    करके प्रार्थना करनी चाहिए। हे भगवान!
    आपकी कृपा से मेरा एवं समस्त जीवों का वर्ष कल्याणमय हो, सभी विघ्न बाधाएँ नष्ट हों।

    दुर्गा जी की पूजन घट स्थापन के साथ नूतन संवत् की पूजा करें। घर को वन्दनवार से सजाकर पूजा का मंगल कार्य संपन्न करें। कलश स्थापना और नए मिट्टी के बरतन में जौ बोए और अपने घर में पूजा स्थल में रखें।

    एक प्राचीन मान्यता है कि आज के दिन ही भगवान राम जानकी माता को लेकर अयोध्या लौटे थे। इस दिन पूरी अयोध्या में भगवान राम के स्वागत में विजय पताका के रूप में ध्वज लगाए गए थे। इसे ब्रह्मध्वज भी कहा गया।

    यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही देवी शक्तीके आदेश से सृष्टि की रचना की।

    श्री विष्णु भगवान ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही प्रथम जीव अवतार (मत्स्यावतार) लिया था।

    यह भी मान्यता है कि शालिवाहन ने शकों पर विजय आज के ही दिन प्राप्त की थी इसलिए शक संवत्सर प्रारंभ हुआ।

    एक मान्यता यह भी है कि मराठा साम्राज्य के अधिपति छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही हिन्दू पदशाही का भगवा विजय ध्वज लगाकर हिंद साम्राज्य की नींव रखी।

    धार्मिक दृष्टि से फल, फूल, पत्तियाँ, पौधों तथा वृक्षों का विशेष महत्व है। चैत्र मास में पेड़-पौधों पर नई पत्तियों आ जाती हैं तथा नया अनाज भी आ जाता है
    जिसका उपयोग सभी देशवासी वर्ष भर करते हैं, उसको नजर न लगे, सभी का स्वास्थ्य उत्तम रहे, पूरे वर्ष में आने वाले सुख -दुःख सभी मिलकर झेल सकें ऐसी कामना ईश्वर से करते हुए नए वर्ष और नए संवत्सर के स्वागत का प्रतीक है ।

    12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ।
    महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है।

    विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया।बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए।

    प्राचीन संवत :
    विक्रम संवत से पूर्व 6676 वर्ष पूर्व से शुरू हुए प्राचीन सप्तर्षि संवत को हिंदुओं का सबसे प्राचीन संवत माना जाता है, जिसकी विधिवत शुरुआत 3076 ईसवी पूर्व हुई मानी जाती है।

    सप्तर्षि के बाद नंबर आता है कृष्ण के जन्म की तिथि से कृष्ण कैलेंडर का।

    फिर कलियुग संवत का। कलियुग के प्रारंभ के साथ कलियुग संवत की 3102 ईसवी पूर्व में शुरुआत हुई थी।

    विक्रम संवत :
    इसे नव संवत्सर भी कहते हैं।
    संवत्सर के पाँच प्रकार हैं
    सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास।

    विक्रम संवत में सभी का समावेश है।
    इस विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई।
    इसको शुरू करने वाले सम्राट विक्रमादित्य थे इसीलिए उनके नाम पर ही इस संवत का नाम विक्रम संवत है।
    इसके बाद 78 ईसवी में शक संवत का आरम्भ हुआ।
    नव संवत्सर :
    जैसा ऊपर कहा गया कि वर्ष के पाँच प्रकार होते हैं।
    मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क आदि सौरवर्ष के माह हैं। यह 365 दिनों का है। इसमें वर्ष का प्रारंभ सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से माना जाता है।

    फिर जब मेष राशि का पृथ्वी के आकाश में भ्रमण चक्र चलता है तब चंद्रमास के चैत्र माह की शुरुआत भी हो जाती है। सूर्य का भ्रमण इस वक्त किसी अन्य राशि में हो सकता है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि चंद्रवर्ष के माह हैं।

    चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है, जो चैत्र माह से शुरू होता है।
    चंद्र वर्ष में चंद्र की कलाओं में वृद्धि हो तो यह 13 माह का हो जाता है। जब चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होकर शुक्ल प्रतिपदा के दिन से बढ़ना शुरू करता है तभी से भारतीय नववर्ष की शुरुआत मानी गई है।
    सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को
    चंद्रमास ही माना जाता है। फिर तीन ऐसे बढ़े हुए दिनों को मलमास या अधिमास कहते हैं।
    लगभग 27 दिनों का एक नक्षत्रमास होता है। इन्हें चित्रा,स्वाति, विशाखा, अनुराधा आदि कहा जाता है।
    वर्ष 360 दिनों का होता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।

    नववर्ष की शुरुआत का महत्व:
    नववर्ष को भारत के प्रांतों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार
    मनाया जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण तिथियाँ मार्च और अप्रैल के महीने में आती हैं।
    इस नववर्ष को प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
    फिर भी पूरा देश चैत्र माह से ही नववर्ष की शुरुआत मानता है और इसे नव संवत्सर के रूप में जाना जाता है।
    गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी
    नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है।
    १ जनवरी को मनाया जाने वाला विश्वव्यापी इसाई नववर्ष पश्चिमी सभ्यता के कारण हमारे समाज के लोग बहुत ही धूम धाम से मानते हैं ।
    भारतीय हिंदू नववर्ष के विषय में जानकारी हो उसकी जानकारी आप तक गीतांजलि पोस्ट द्वारा साझा की गई है ।
    आगामी 22 मार्च 2023 बुधवार को अपने हिंदू समाज का
    नववर्ष है । चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के ऐतिहासिक महत्व को जानकर अपने भारतिय धार्मिक पौराणिक व ऐतिहासिक परंपरा का पालन करके भारतीय होने का गौरव प्राप्त करेंगे ।

  • जयपुर सहित कई जिलों में भूकंप के झटके हुए महसूस

    गीतांजलि पोस्ट/डेस्क टीम

    जयपुर:- मंगलवार रात करीब 10 बजकर 20 मिनट पर राजस्थान के जयपुर, अजमेर, अलवर, गंगानगर, बीकानेर सहित कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस हुए। सुरक्षा के लिहाज से लोग अपने घरों ले बाहर आ गए।
    राजस्थान के साथ ही दिल्ली, यूपी, एमपी, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, बिहार में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। जानकारी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई है और भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान था।

  • सांभर को जिला बनाने के लिए आंदोलन जारी, क्षेत्रवासियों ने फिर किया चक्का जाम

    सांभर को जिला बनाने के लिए आंदोलन जारी, क्षेत्रवासियों ने फिर किया चक्का जाम

    क्षेत्र के बाजार चौथे दिन भी रहे बंद

    गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा

    सांभर लेक:- सरकार द्वारा राजस्थान में नए जिले बनाए गए हैं। इन जिलों में सांभर लेक का नाम नहीं होने से क्षेत्र के लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा हैं। सांभर – फुलेरा जिला बनाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में हजारों क्षेत्रवासियों द्वारा लगातार सांभर को जिला नहीं बनाए जाने के विरोध किया जा रहा हैं। विरोध के रूप में क्षेत्र के बाजार चौथे दिन भी बंद रहे। जिला बनाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में आक्रोश रैली द्वारा कस्बे में घूमकर बुधवार को जयपुर कूच करने के लिए पीले चावल वितरित किए गए।

    आक्रोश रैली के बाद क्षेत्रवासियों ने पृथ्वीराज सर्किल पर चक्का जाम कर दिया गया। चक्का जाम में सांभर के अलावा फुलेरा अनेक लोग पहुंचे। जिला बनाओ संघर्ष समिति द्वारा बुधवार को जयपुर कूच के लिए आह्वान किया गया।

  • विश्व गौरैया दिवस पर आमजन से किया गौरेया को बचाने का आग्रह

    गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद

    लूणकरणसर:- गौरैया को संरक्षित एवं सम्मानित करने के लिए 20 मार्च को वर्ल्ड स्पैरो डे निर्धारित किया गया है ताकि गौरैया के साथ-साथ अन्य सामान्य पक्षियों की सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में आम लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके, ये कहना है भारत सरकार के भारतीय जीव कल्याण मानद प्रतिनिधि श्रेयांस बैद का। वे आज गोरैया आज संरक्षण के लिए जम्भेश्वर मन्दिर में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। बैद ने कहा इसके माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की सुंदरता को बचाया जा सकता है। दुनिया भर के कई देशों में गौरैया को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। लोग घरेलू गौरैया के संरक्षण का प्रयास कर रहे हैं एवं विश्व गौरैया दिवस के उपलक्ष्य में विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।

    जीव प्रेमी ओम ज्याणी ने कहा कि इनकी संख्या में निरन्तर कमी आ रही है। इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाये जाने का प्रयास किया जा सकता है। उन्होंने कहा सघन व्रक्षरोपण, घरों में घोंसले, गर्मी में पानी मे जल व अनाज से भरे शिकोरे रखे जाए, जिससे इन्हें पर्याप्त भोजन मिल सके। चाइनीज मांझे के उपयोग के चपेट में आने ऐसे जीवों में निरंतर गिरावट आ रही है इसलिए ऐसे मांझे के उपयोग को न करे। इस दौरान वन्य जीव प्रेमियों ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान सुदेश बिश्नोई , सीताराम , प्रदीप सारण, सुमन ,गायत्री इत्यादि ने भी घरेलू चिड़िया गौरेया को बचाने की अपील की।

  • श्याम मित्र मंडल द्वारा विशाल भजन संध्या का आयोजन

    गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद

    लूणकरणसर:- श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित खाटू श्याम सरकार के वार्षिक विशाल जागरण का आयोजन श्री श्याम मित्र मंडल लूणकरणसर द्वारा आयोजित किया गया ।
    हनुमानगढ़ से आये श्याम कीर्तन मण्डल द्वारा श्रृंगार इत्र पुष्पों से श्री श्याम धणी का विशेष श्रृंगार किया गया ।
    दूर दराज क्षेत्रो से सैकड़ों की संख्या में भक्त शीश दर्शन व भजन सुनने को पहुंचे । मित्र मंडल द्वारा भव्य जोत के साथ सुंदर भजनों से प्रस्तुतियां दी गयी ।

  • सरकार के पास 20 मार्च तक का समय, पेश करनी होगी अनुपालना रिपोर्ट : महावीर रांका

    गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद बीकानेर:- ईसीबी कार्मिकों की ज्वाइनिंग की मांग को लेकर 41वें दिन भी जिला कलक्ट्रेट के समक्ष आमरण अनशन जारी रहा। भाजपा नेता महावीर रांका की अगुवाई में चल रहे इस अनशन में अनशन पर पंकज गहलोत, श्रवण नैण, महेन्द्र हटीला, दिनेश सांखला, मनोज पडि़हार डटे हुए हैं। पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका ने बताया कि हाईकोर्ट ने विगत 27 फरवरी को सरकार को आदेश पारित करते हुए तीन सप्ताह का समय दिया था, इसके अंतर्गत अब सरकार द्वारा 20 मार्च तक अनुपालना रिपोर्ट प्रस्तुत करनी आवश्यक होगी। भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक महावीर रांका ने बताया कि हाइकोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर मंत्री व मुख्यमंत्री बड़े अपराध को कारित कर रहे हैं। भाजपा के लक्की पंवार ने बताया कि शनिवार को अनशन स्थल पर संदीप भाटी, सत्यनारायण कच्छावा, विष्णु भगवान तंवर, शिवकुमार पांडे, कैलाश पारीक, इन्द्र ओझा, रमेश सैनी, नवरतन सिसोदिया, योगी मेहरा, राजू चौधरी, एडवोकेट राधेश्याम गोयल, साहिल सोढा, शिवकुमार पांडिया, मालचन्द जोशी, कैलाश पारीक, जगदीश नायक, बन्नाराम सियाग, लोकेश छाबड़ा, प्रेमसिंह चौहान, लोकेश कच्छावा, मोहनलाल कच्छावा, मेघराज सुथार, करणी सिंह पडि़हार, जेठाराम, संजय स्वामी, मनीष मारु, पवन सुराना, गोपाल पारीक, रवि, संजीव तनेजा, मनोज कुमार, अंकुर, सुरमेश मामवाणी, आशीष अनेजा, नारायण नैण, दीपक कोटिया, संदीप भाटी, बिरजू प्यारे, सुरेन्द्र सिंह, गोविन्द सिंह, चंद्र चौधरी, नारायण प्रजापत, गणेश भाटी आदि उपस्थित रहे।

  • आत्मा योजना के अंतर्गत “गौबर-गौमूत्र प्रसंस्करण” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

    गीतांजलि पोस्ट /श्रेयांस बैद
    लूणकरणसर:-
    राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा संचालित पशु विज्ञान केंद्र, लूणकरनसर द्वारा आत्मा योजना के अंतर्गत “गौबर-गौमूत्र प्रसंस्करण” विषय पर दो दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन दिनांक 17 व 18 मार्च 2023 को पशु विज्ञान केंद्र, लूणकरनसर में किया गया। प्रशिक्षण शिविर मे आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ. सीमा बिश्नोई, पशु चिकित्सा अधिकारी, सुरनाणा ने गाय की मुख्य नस्लों का सामान्य परिचय व उनकी पहचान के बारे मे बताया। पशु विज्ञान केंद्र के डॉ. हेमंत कुमार ने बड़े पशुओ मे होने वाली मुख्य बीमारिया व रोकथाम आदि को विस्तारपूर्वक समझाते हुए गौबर से कम्पोस्ट खाद व गौमूत्र से कीटनाशक बनाने की विधि की विस्तृत व्याख्या की । प्रशिक्षण शिविर के दौरान मामराज मेघवाल, सहायक कृषि अधिकारी, लूणकरनसर ने पशुपालकों को फल एंव सब्जियों के जैविक उत्पादन के लिए प्रेरित किया । इस प्रशिक्षण शिविर मे गौबर-गौमूत्र के व्यवसायिक परिपेक्ष मे उपयोग बताते हुए पशुपालकों को इनसे आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया । प्रशिक्षण शिविर के दौरान पशुपालकों को केंद्र पर उपस्थित विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों जैसे जैविक सब्जी, एजोला, नेपियर एवं औषधीय पादपों आदि का भ्रमण करवाया । प्रशिक्षण शिविर के समापन में एक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें शुगना देवी, शिशपाल एंव रुघा राम क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे। सभी विजेता पशुपालकों को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में 30 पशुपालक लाभान्वित हुए जिन्हें कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षण प्राप्ति के प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए ।

  • सांभर को जिला नहीं बनाए जाने का हुआ जबरदस्त विरोध

    पृथ्वीराज सर्किल पर किया चक्का जाम

    मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फूंका पुतला

    गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा

    मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला फूंकते क्षेत्रवासी

    सांभर लेक:- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य में 19 नए जिले बनाए जाने की घोषणा के बाद सांभर में काफी विरोध हो रहा हैं। सांभर को जिला बनाए जाने की मांग विगत 60 वर्षों से लगातार जारी हैं, परंतु सांभर की उचित मांग को दरकिनार करते हुए अशोक गहलोत द्वारा सांभर को जगह दूदू को जिला घोषित कर दिया। दो माह पूर्व दूदू ग्राम पंचायत था, फरवरी माह में अशोक गहलोत द्वारा दूदू को नगरपालिका घोषित किया गया और शुक्रवार को दूदू को जिला भी घोषित कर दिया गया। दूदू द्वारा 1 वर्ष से जिला बनाए जाने की मांग की जा रही थी। सांभर को जिला नहीं बनाए जाने से क्षेत्र की जनता में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा हैं। सांभर के पृथ्वीराज सर्किल पर क्षेत्र की जनता द्वारा चक्का जाम किया गया। चक्का जाम में हजारों लोग मौजूद रहे। सांभर को जिला नहीं बनाए जाने के विरोध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला फूंका गया। जिला नहीं बनाए जाने के विरोध में सांभर कस्बे के बाजार पूरी तरह से बंद रहे। चक्का जाम के बाद क्षेत्रवासियों ने विरोध के रूप में रैली भी निकाली गई।

    पृथ्वीराज सर्किल पर चक्का जाम करते सांभरवासी

    अशोक गहलोत द्वारा दूदू को जिला बनाए जाने का विरोध पूरे क्षेत्र में देखा जा रहा हैं। प्रस्तावित दूदू जिले में काफी क्षेत्र नहीं जाना चाहते हैं। सांभर को जिला नहीं बनाए जाने के विरोध में सांभर – फुलेरा जिला बनाओ समिति के संयोजक विवेक शर्मा, पूर्व भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष दीनदयाल कुमावत, पंचायत समिति सदस्य धन्नालाल नोदल, सांभर नगरपालिका नेता प्रतिपक्ष अनिल गट्टानी सहित हजारों लोग मौजूद रहे।

  • नवसंवत्सर की तैयारियों को लेकर बैठक आयोजित

    गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा

    सांभर लेक:- आर्यसमाज भवन में हिंदू नववर्ष तैयारियों को लेकर बैठक आयोजित हुई जिसमे सभी के द्वारा विचार ओर राय द्वारा बैठक में सर्वसम्मति से प्रकाश सोनी (सिंधी) को अध्यक्ष, प्रमोद जोशी को सचिव, नितेश गोयल को कोषाध्यक्ष ओर राहुल अग्रवाल को प्रचार प्रसार मंत्री मनोनीत किया गया। नववर्ष की पूर्व संध्या 21 मार्च की शाम को दशहरा ग्राउंड पर एक भव्य रंगारंग कार्यक्रम रखा जायेगा जिसमें बाहर के नामी कलाकार शिरकत करेंगे साथ स्थानीय स्तर की प्रतिभाओं के भी कार्यक्रम रखे जायेंगे ओर 22 मार्च को नववर्ष के अवसर पर शाम को पांचबत्ती चौराहे पर 1100 दीपकों से भारत माता कि भव्य आरती की जायेगी उसके उपरांत 23 मार्च को सुबह आर्यसमाज के तत्वावधान में स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती पर दशहरा ग्राउंड पर 200 जोड़ों का हवन कार्यक्रम रखा जायेगा ओर देश में सुख शांति समृद्धि की प्रार्थना की जायेगी। बैठक में समिति के संयोजक डा. ज्ञानप्रकाश दायमा, बिरजू सोनी, राजू कयाल, अरुण व्यास, देवेन्द्र भार्गव, दिनेश बंजारा, किरण बंजारा, कालीचरण, नन्द किशोर सांभरिया, द्वारका सोनी, राजू कुमावत, दिनेश शर्मा, मनीष सूठंवाल, मंहत जुगल किशोर महाराज, प्रदीप साध सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।