राजगढ़ सरदारपुर से सांभर पहुंची पदयात्रा, रथयात्रा का जगह-जगह पुष्पवर्षा से हुआ भव्य स्वागत
सांभर लेक (विनय शर्मा):- राजगढ़ तहसील सरदारपुर से शुरू हुई श्री श्याम संगम निशान पैदल रथयात्रा का सांभर पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ। शुक्रवार शाम रथयात्रा का सांभर रेलवे स्टेशन पर श्याम भक्तों द्वारा जोरदार स्वागत किया गया। रथयात्रा रेलवे स्टेशन, पांचबत्ती, न्यू बस स्टैंड, गट्टाणी मार्केट होते हुए देवयानी सरोवर स्थित श्याम मंदिर पहुंची। इस दौरान जगह-जगह रथयात्रा पर पुष्प वर्षा की गई। श्याम मंदिर पहुंचने पर श्याम भक्तों द्वारा महाआरती का आयोजन किया गया। रथयात्रा द्वारा देवयानी सरोवर पर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में रात्रि विश्राम किया गया। जानकारी के अनुसार श्री श्याम भक्त सागर विश्वकर्मा के सानिध्य में यह पांचवीं विशाल रथयात्रा 26 जनवरी को राजगढ़ से प्रारंभ हुई थी। रथयात्रा से साथ करीब 180 श्याम भक्त पैदल चल रहे हैं।
UPI यूजर्स के लिए बड़ा अपडेट, 1 फरवरी से ब्लॉक होंगे ये ट्रांजेक्शन, NPCI ने बदल दिया नियम, तुरंत करें चेक
सिद्धार्थ राव, नई दिल्ली। 1 फरवरी से UPI ट्रांजेक्शन बंद होने का खतरा है. दरअसल, अगर पेमेंट ऐप ट्रांजेक्शन ID में स्पेशल कैरेक्टर यूज करती है तो सेंट्रल सिस्टम उस ऐप से ट्रांजेक्शन को एक्सेप्ट नहीं करेगा। अगर आप UPI पेमेंट ऐप यूज करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. दरअसल, 1 फरवरी से कोई भी UPI ऐप ट्रांजेक्शन ID जनरेट करने के लिए स्पेशल कैरेक्टर यूज नहीं कर पाएगी. अगर कोई ऐप ट्रांजेक्शन ID में स्पेशल कैरेक्टर यूज करेगी तो सेंट्रल सिस्टम उस पेमेंट को कैंसिल कर देगा. नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ये दिशानिर्देश बिजनेस यूजर्स के लिए जारी किए थे, लेकिन इसका असर आम ग्राहकों पर भी पड़ने वाला है।
इसलिए किया जा रहा है बदलाव
NPCI UPI ट्रांजेक्शन ID जनरेट करने की प्रोसेस को स्टैंडर्ड बनाना चाहता है. इसलिए उसने सभी कंपनियों से ट्रांजेक्शन ID में केवल अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर ही जोड़ने के आदेश दिए हैं. ये आदेश 1 फरवरी से लागू हो जाएंगे. इसका मतलब है कि अगर कोई ऐप इन आदेशों का पालन नहीं करती है तो UPI के जरिये पेमेंट पूरी नहीं होगी. आदेशों का पालन करने की जिम्मेदारी ऐप्स पर ही डाली गई है।
पहले भी जारी किए थे आदेश
NPCI ने पहले भी इस प्रोसेस को स्टैंडर्ड बनाने के लिए आदेश जारी किए थे. बीते साल मार्च में आए आदेशों में ट्रांजेक्शन ID को 35 कैरेक्टर में बनाने की बात कही गई थी. इससे पहले ट्रांजेक्शन ID में 4 से लेकर 35 कैरेक्टर तक होते थे. इसे देखते हुए 35 कैरेक्टर की ID जनरेट करने की बात कही गई थी.
जयपुर: राजस्थान में नए जिलों के गठन और इनमें से कुछ का दर्जा खत्म करने को लेकर सियासी घमासान के बीच पिछले 43 वर्षों में घोषित जिलों के अब तक सुविधा सम्पन्न नहीं बन पाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। बड़ी वजह यही सामने आती है कि सरकारें ऐसे फैसलों को लेकर राजधर्म निभाने में पीछे रह जाती हैं। इसका उदाहरण है परमेश चन्द्र कमेटी की सिफारिश के बावजूद चार शहर-कस्बों को करीब 15 वर्ष तक जिले का दर्जा पाने का इंतजार रहा। सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच इन दिनों अनूपगढ़ व सांचोर जिले का दर्जा समाप्त होने पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि इस मसले पर राज्य सरकार का तर्क है कि कनेक्टिविटी बढ़ने के कारण दूरी के आधार पर जिला नहीं बनाया जा सकता।
नए जिले बनाते समय पिछली कांग्रेस सरकार ने तर्क दिया था कि जिलों का आकार घटाने और पिछड़े इलाकों को जिला बनाने से विकास की रफ्तार बढ़ सकती है। इसी आधार पर 17 नए जिले बनाए गए। मौजूदा भाजपा सरकार 9 जिले समाप्त करने के बाद तर्क दे रही है कि किसी भी जिले में कम से कम अपने खर्च लायक राजस्व जुटाने की क्षमता तो हो। हालांकि आदिवासी, रेगिस्तानी क्षेत्रों को राजस्व व आबादी के पैमाने से छूट दी गई है। इस बीच जिलों के विकास को लेकर पड़ताल में सामने आया कि धौलपुर, राजसमंद सहित कई जिलों को देखकर आज भी जिले जैसा अहसास नहीं होता।
वक्त बदला, तर्क बदले:
कांग्रेस शासन भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी रामलुभाया की कमेटी की सिफारिश के आधार पर जिले बनाए। जिला मुख्यालय की अंतिम गांव से दूरी के आधार पर लोगों की सुविधा के लिए अनूपगढ़ व सांचोर को भी जिला बनाया। मौजूदा सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी ललित के. पंवार की कमेटी की सिफारिश के आधार पर निर्णय किया। न्यूनतम 6-7 तहसील, पहले से उपलब्ध सुविधाएं और जनसंख्या वृद्धि दर जिला बनाए रखने के प्रमुख आधार रहे, वहीं कनेक्टिविटी बढ़ने के कारण दूरी को जिले के लिए आधार नहीं माना।
5 में से 1 ही बना जिला:
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे परमेश चंद्र की कमेटी ने प्रतापगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीडवाना-कुचामन व कोटपूतली-बहरोड़ को जिला बनाने की सिफारिश की, लेकिन 2008 में प्रतापगढ़ को ही जिला बनाया।
इसलिए बचे ये जिले:
सलूम्बर: पर्यटन महत्व वाले किले-महल हैं। आदिवासी क्षेत्र होने से आबादी व घनत्व के पैमाने में रियायत।
बालोतरा: रिफाइनरी से विकास। रेगिस्तान के आधार पर आबादी व घनत्व के पैमाने में रियायत।
खैरथल-तिजारा: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से नजदीक। भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र व खैरथल मंडी आर्थिक ताकत।
आंकड़ों में यह है स्थिति:
आबादी:राष्ट्रीय स्तर पर एक जिले की औसत आबादी 22 लाख है। 41 जिले रहने पर 16-17 लाख हो गया। उपखंड: 50 जिले होने के समय 10 जिलों में दो से चार उपखंड थे और कुछ उपखंडों में आबादी लगभग 50,000-60,000 थी। वर्तमान में आदिवासी क्षेत्र सलूम्बर तथा मरुस्थलीय जैसलमेर व बालोतरा जिलों में चार-चार उपखंड हैं। वहीं 12 जिलों में 5 से 7 उपखंड हैं।
जिला बनाने के लिए आधार:
पुराने जिले से दूरी, प्रस्तावित जिले में सुविधाओं की स्थिति, जिला बनाने पर आने वाला खर्च, प्रस्तावित जिले की आबादी, नए जिले में उपखंड।
शाही स्नान को लेकर इतिहास और धर्म के जानकारों के बीच अलग-अलग मत हैं। जहां धर्म को जनाने वाले कहते हैं कि, यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। उनका मानना है कि, ग्रहों की विशेष स्थिति में किए जाने वाले स्नान को शाही स्नान की संज्ञा दी जाती थी। वहीं इतिहास के जानकार मानते हैं कि. मध्यकाल के दौरान साधु-संतों को विशेष सम्मान देने के लिए राजाओं के द्वारा उन्हें कुम्भ में सबसे पहले स्नान की अनुमति दी गई थी। उनके लाव लश्कर को देखकर ही महाकुंभ के स्नान को शाही स्नान कहा जाने लगा।
फतेहपुर | राजस्थान में शेखावाटी के फतेहपुर में दादूपंथ में एक संत भीखजन जी महाराज हुए थे जिनको समाज के कुछ लोगों ने मंदिर से निकाल दिया था उसके बाद संत ने मंदिर के बाहर तपस्या की जिसके प्रभाव से मंदिर में भगवान की मूर्ति ने स्वतः अपना मुख उस दिशा में कर लिया जिस दिशा में संत भीखजन जी महाराज तपस्या कर रहे थे |
बताया जा रहा है लगभग 400 साल पहले की की घटना है जिस समय फतेहपुर में जातिवाद अपने चरम पर था, समाज में कोई छोटा तो कोई बड़ा होता था जिसका प्रभाव लोगों पर ही नहीं बल्कि मंदिर तक भी पहुंच चूका था । फतेहपुर के नगर सेठ आराध्य भगवान् श्री लक्ष्मीनाथ जी का मंदीर भी उससे अछूता नही था उस समय हिंदुओ की ही कुछ जातियों को मंदीर में प्रवेश की दर्शन की अनुमति नहीं थी |
संवत 1683 के समय फतेहपुर में दादू पंथी संतो का खूब प्रभाव था उनमे से ही एक थे आचार्य कुल के संत शिरोमणि भीख जन जी महाराज | हिन्दू समाज के कुछ जातिवादी लोगों ने भीखजन जी महाराज को मंदीर प्रवेश नही करने दिया इससे नाराज होकर भीखजन जी महाराज मंदीर के पीछे इस पोष महीने की सर्दी में बिना कुछ खाये पिये भगवान् की साधना करने लगे जिससे प्रसन्न होकर भगवान लक्ष्मीनाथ जी की प्रतिमा ने भीखजन जी महाराज की ओर मुख कर लिया |
भगवान् की प्रतिमा के मुह फेरने की घटना सारे शहर में फैल गयी लोगों ने मंदिर के पीछे जाकर देखा तो भीखजन जी महाराज साधना में लीन थे तब लोगो को समझ आया की उन्होंने संत का अनादर किया है | सभी लोगो ने संत भीखजन जी महाराज से क्षमा याचना की और सब भक्तो को आदर के साथ मंदीर प्रवेश मिला तब से ठाकुर जी के मंदीर में भेद भाव समाप्त हुआ सबको मंदीर प्रवेश ठाकुर जी के दर्शन का सौभाग्य मिला|
उसके बाद उन्होंने “भीख बावनि” की रचना की भगवान् कृपा करके अपने भक्त पर खुश हुए और अपना मुह भक्त की तरफ घुमा लिया और दर्शन दिया। जो दोहा आज भी मंदीर के मुख्य दुवार पर शोभा पा रहा हैं। “सोलह सो तिरासिये अचाराज कुल कर भीख जन अपनो जानी के दियो दर्श मुख फेर”
छुआछूत को हटाने के लिए सर्वसमाज इनका ऋणी हैं इन्होंने सबके लिए तपस्या की सत्याग्र किया और मंदीर प्रवेश दिलवाया साक्षात भगवान् को धरती पर ले आये जिनकी रचना भीख बावनि पोष महीने की पूर्णिमा को सम्पन हुई इस लिए इसी दिन को भीख पूर्णिमा के रूप मे मनाया जाता रहा है साथ ही संत भीखजन जी महाराज की याद में हर वर्ष पोष माह की पूर्णिमा को शोभायात्रा निकली जाती है | हमेशा की तरह इस बार भी भीखजन जी महाराज की 13 जनवरी को शोभा यात्रा निकाली जा रही हैं |
मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रुप ने अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में महाप्रसाद सेवा का आयोजन किया है। इस सेवा के तहत प्रतिदिन लगभग 1 लाख भक्तों को महाप्रसाद वितरित किया जाएगा, जिसमें 18,000 सफाई कर्मी भी शामिल होंगे। महाप्रसाद में रोटी, दाल, चावल, सब्जियां और मिठाई शामिल होंगी। इसके अलावा, अडानी ग्रुप विशेष रूप से दिव्यांग, बुजुर्ग और बच्चों के लिए गोल्फ कार्ट की सुविधा भी प्रदान करेगा, जिससे उन्हें मेले में आने-जाने में सुविधा हो सके।
अडानी ग्रुप ने गोरखपुर स्थित गीता प्रेस के साथ भी एक साझेदारी की है, जिसके तहत करीब 1 करोड़ ‘आरती संग्रह’ पुस्तकों की छपाई की जाएगी। इस आरती संग्रह में शिव, लक्ष्मी, गणेश, विष्णु, दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं को समर्पित भक्ति गीत शामिल हैं। इन पुस्तकों को महाकुंभ मेले में निःशुल्क वितरित किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वर्ष महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है और इसे 6,382 करोड़ रुपये के बजट में आयोजित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जनवरी को श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित 2,400 करोड़ रुपये की लागत से बनी रणनीतिक जेड-मोड़ सुरंग (Z-Morh tunnel) का उद्घाटन कर सकते हैं। यह 6.5 किलोमीटर लंबी सुरंग लद्दाख क्षेत्र को पूरे साल सड़क मार्ग से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह वही सुरंग है जहां पिछले साल 20 अक्टूबर को आतंकी हमला हुआ था। यह सुरंग गांदरबल जिले के गगनगीर इलाके में आती है। गगनगीर में हुए हमले में एक स्थानीय डॉक्टर और बिहार के दो मजदूरों सहित सात लोगों की जान चली गई थी। जेड-मोड़ सुरंग निर्माण स्थल पर हुए इस हमले में दो आतंकवादी शामिल थे।
रक्षा जरूरतों और लद्दाख को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिहाज से यह सुरंग अत्यंत महत्वपूर्ण है। परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अगर मौसम अनुकूल रहा, तो प्रधानमंत्री खुद वहां मौजूद रहकर सुरंग का उद्घाटन करेंगे। लेकिन अगर खराब मौसम रहा तो इस स्थिति में सुरंग का उद्घाटन वर्चुअल माध्यम से किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस सुरंग परियोजना का नाम लिए बिना सोशल मीडिया पर इसे पर्यटन के विस्तार के लिए एक “गेम चेंजर” बताया। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर, विशेष रूप से मध्य कश्मीर, आने वाले दिनों में एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के उद्घाटन की प्रतीक्षा कर रहा है। यह परियोजना घाटी में सर्दी के पर्यटन के विस्तार के लिए एक क्रांतिकारी कदम होगी।”
गौरतलब है कि कंगन के गंड क्षेत्र में भारी बर्फबारी के कारण श्रीनगर-सोनमर्ग सड़क सर्दियों के महीनों में बंद रहती है। जेड-मोड़ सुरंग के खुलने से यह सड़क सालभर खुली रहेगी, जिससे सोनमर्ग क्षेत्र में सर्दी के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। श्रीनगर-लेह सड़क को सालभर चालू रखने के लिए जोजिला सुरंग पर भी काम जारी है। जेड-मोड़ सुरंग परियोजना का काम मई 2015 में शुरू हुआ था और इसे पिछले साल पूरा कर लिया गया। फरवरी 2024 में सुरंग का सॉफ्ट ओपनिंग किया गया था।
सुरंग के शुरू होने से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि यह बर्फीले इलाकों में खतरनाक और हिमस्खलन-प्रवण मार्ग का विकल्प भी प्रदान करेगी।
पोर्टल पर देनी होगी दस्तावेज व शिक्षक-स्टाफ की जानकारी
सीबीएसई: स्कूलों को दिए निर्देश, 8 फरवरी तक करनी होगी अपलोड, नहीं तो जुर्माना
दिल्ली, सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूलों को आवश्यक दस्तावेज और शिक्षकों-स्टाफ की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। बोर्ड ने साफ किया है कि 8 फरवरी तक काम नहीं करने पर कार्रवाई और जुर्माना लगाया जाएगा। सचिव हिमांशु गुप्ता ने आदेश जारी कर बताया कि सीबीएसई ने 5 मार्च 2021 को आदेश जारी किए थे।
इसमें सभी स्कूलों को अपनी वेबसाइट बनाने, शिक्षकों और स्टाफ की योग्यता, स्कूल से जुड़े आवश्यक दस्तावेजों को पोर्टल पर अपलोड करने को कहा। इसके बाद बोर्ड ने उसी वर्ष मई में फिर स्कूलों को निर्देश दिए गए। गुप्ता ने बताया कि बार-बार निर्देश जारी करने के बावजूद स्कूलों ने इसे गंभीरता नहीं लिया। कई स्कूलों ने वेबसाइट बनाई पर वांछित दस्तावेज अपलोड नहीं किए। कई स्कूल ने वेबसाइट तक नहीं बनाई। इसे बोर्ड ने गंभीरता से लिया है। बोर्ड ने अजमेर, प्रयागराज, दिल्ली वेस्ट, दिल्ली ईस्ट, गुवाहाटी, पटना, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, पंचकुला, देहरादून, भोपाल, पुणे, चेन्नई, बेंगलूरू, तिरुवनंतपुरम, विजयवाड़ा और नोएडा रीजन के सभी स्कूलों को एक माह की मोहलत दी है। इसके बाद बोर्ड कार्रवाई करेगा।
नेपाल और भारत के कई राज्यों में आज सुबह हुए भूकंप के तेज झटके, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.1; बिहार में भी कांपी धरती*इससे पहले पिछले महीने यानी 21 दिसंबर को नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 4.8 मापी गई थी।
नेपाल में आज मंगलवार को सुबह-सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। सुबह छह बजकर 35 मिनट पर आए भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.1 मापी गई। भूकंप के झटके भारत के कई राज्यों में भी महसूस किए गए। इसकी जद में सबसे ज्यादा बिहार आया। यूएसजीएस भूकंप के मुताबिक, भूकंप का केंद्र लोबुचे से 93 किमी उत्तर पूर्व में था।पिछले महीने भी कांपी थी धरतीइससे पहले पिछले महीने यानी 21 दिसंबर को नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 4.8 मापी गई थी। अप्रैल 2015 में 7.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया थाअप्रैल 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था। इस दौरान लगभग 9,000 लोग मारे गए थे और लगभग 22,000 अन्य घायल हुए थे। इसने 800,000 से अधिक घरों और स्कूल भवनों को नुकसान पहुंचा था।
क्यों बार-बार नेपाल में आ रहे भूकंप के झटके? आईआईटी कानपुर सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन मलिक के अनुसार, 2015 में भी नेपाल में 7.8 से 8.1 तीव्रता वाले भूकंप के झटके आए थे। भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल था। हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर होने के चलते भूकंप के झटके महसूस होते रहेंगे।क्यों आता है भूकंप?पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं।
कुरान की 26 आयतों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगी नाजिया खान
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा है कि हिंदू समाज को अपनी जनसंख्या घटा कर गुलामी नहीं खरीदनी। हर हिन्दू दंपति के तीन से कम बच्चे नहीं होने चाहिए। संघ प्रमुख मोहन भागवत के संदेश को आगे बढ़ाते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि हमारा समृद्ध इतिहास फिर कह रहा है कि हम दुनिया की सरपरस्ती करें। हमें भारत को दंगा मुक्त, नफरत मुक्त और हिंसा मुक्त बनाना है। हिंदू घटे नहीं, हिंदू बंटे नहीं। इंद्रेश कुमार रोहिणी के क्राउन प्लाजा होटल में राष्ट्रभक्ति, भारतीय संस्कृति-संस्कार व सनातन मूल्यों को समर्पित संस्था चेतना की ओर से प्रख्यात समाज सेवी लाला ओमप्रकाश गोयल की स्मृति में आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। इस भव्य एवं विचारोत्तेजक व्याख्यान का विषय था पहले देश-फिर शेष। कार्यक्रम में प्रभावशाली मंच संचालन ओजस्वी वक्ता और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि राजेश चेतन ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि पूजास्थलों के विवाद का यही समाधान है कि संवाद करो और न्यायपालिका के पास जाओ। सभी को नेक बन कर नेकी करने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि जहां हिंदू धर्म की मूर्तियां निकलें, वहां नमाज नहीं होनी चाहिए। इसी दृष्टिकोण को अपना कर सभी पूजा स्थलों का विवाद खत्म हो जाएगा। काबा का संदर्भ देते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि वहां नहीं बोली जातीं कुरान की विवादित 26 आयतें। राष्ट्रवाद का प्रखर संदेश देते हुए संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि तमाम देशवासियों को सुनिश्चित करना होगा कि भारत का फिर विभाजन न हो, लाहौर-ढाका समेत खोई जमीन फिर हमें मिले। भारत की ताकत और पराक्रम की गूंज बीजिंग तक सुनाई देनी चाहिए। हिंदुस्तान सारे जहां से अच्छा था, है और रहेगा।इंद्रेश कुमार ने इसके अलावा गोवध रोकने, लिंचिंग बंद करने, बेटी-बहन-मां की सुरक्षा सुनिश्चित करने, बच्चों को शिक्षा के साथ सनातन संस्कार देने, एकता आदि विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की।
समारोह में सुप्रीम कोर्ट की नामी वकील, प्रखर प्रवक्ता और महिला अधिकारों के लिए संघर्ष की अलख जगाने वाली सुश्री नाजिया इलाही खान मुख्य वक्ता रहीं। उन्होंने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा कि सनातनी व्यवस्था में ही बेटियां सुरक्षित रह सकती हैं। तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दमदार पैरवी कर मुस्लिम महिलाओं के लिए फरिश्ता बनी नाजिया इलाही ने कहा कि इस्लाम ने नारी को जहन्नुम के सिवाय कुछ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम धर्म के ठेकेदार स्वयं कह रहे हैं निकाह एक कांट्रेक्ट मैरिज है। यानि मर्द का जब मन करे, तलाक लेकर नई लड़की के दैहिक शोषण के कांट्रेक्ट के लिए आजाद है। नाजिया इलाही ने कुरान के मंतव्यों की धज्जियां उड़ाते हुए 26 विवादित आयतों के बारे में विस्तार से बताया कि किस हद तक ये सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रही हैं। नाजिया ने ऐलान किया कि अगले माह वह इन आयतों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर करने जा रही हैं। अपने धारा प्रवाह से उपस्थित सभी जनों को सम्मोहित करने वाली नाजिया इलाही खान ने जेहाद, हलाला, हिजाब, निकाह मसियार, मजारपरस्ती, जन्नत की हूर के लालच, सर तन से जुदा, फतवा आदि का वास्तविक अर्थ समझाया, एक खास मजहब के कुत्सित इरादों की पोल खोली और देशवासियों को उनसे सावधान रहने के लिए कहा। हिंदुओं से उन्होंने आह्वान किया कि वे संकल्प लें कि बंटेंगे नहीं। साथ ही जोड़ा कि बंटेंगे नहीं तो कटेंगे नहीं। हिंदू अब जाग रहा है, वह आर या पार की हद तक जाने को तैयार है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का नाजिया ने विशेष तौर पर उल्लेख किया।
आजकल देश और दुनिया में एक नाम सुर्खियों में है सम्भल। सम्भल के दंगों में अपने पिता बनवारी लाल गोयल को खोने वाले दिल्ली के व्यापारी विनीत गोयल ने बताया कि 1978 में उनके सम्भल स्थित व्यापारिक प्रतिष्ठान पर एक खास मजहब के बलवाइयों ने हमला कर दिया था। ट्रैक्टर से मेन गेट तोड़ कर वे लोग अंदर घुस आए थे। विनीत गोयल ने बताया कि एक खास धर्म के बर्बर उपद्रवियों ने उनके पिता समेत 24 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। यह किस्सा सुनाते हुए विनीत गोयल मंच पर ही रो पड़े। व्याख्यान में उपस्थित सभी लोगों की आंखें भी नम हो गई थीं।
अग्रसेन अस्पताल, पंजाबी बाग के मेंबर कंट्रोल बोर्ड जीडी गोयल तथा श्रीराम लीला कमेटी, पीतमपुरा पीयू ब्लाक के प्रधान श्रीकृष्ण बासिया विशिष्ट अतिथि के रूप में व्याख्यान में शामिल हुए। लाला ओमप्रकाश गोयल की धर्मपत्नी श्रीमती गीता गोयल ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया।
उनके सुपुत्र राजीव तोशामवाल ने स्वागत भाषण दिया जिसमें उन्होंने अपने पिताजी की सादगी व सहजता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने कभी लाभ या हानि के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने हमें सीख दी थी कि खाली नहीं बैठना, काम करते रहना। इसी सीख पर मैं और मेरा भाई चलते गए और आज कामयाबी की अनेक मंजिलें हमने हासिल कर ली हैं।