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शाकंभरी विद्यालय में हुआ वार्षिकोत्सव व विदाई समारोह का आयोजन

गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा

सांभर लेक:- कस्बे में संचालित शाकंभरी विद्यालय में वार्षिकोत्सव और विदाई समारोह का आयोजन हुआ। विद्यालय की कक्षा सातवीं ने कक्षा आठवीं के छात्रों को विदाई दी। विदाई समारोह के दौरान विद्यार्थियों द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियां भी दी गई। विदाई समारोह के दौरान विद्यालय की प्रधानाचार्य सुनीता व्यास द्वारा विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह देकर उनका उत्साहवर्धन किया गया। विद्यालय के सभी अध्यापकों द्वारा बच्चों को सफलता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा गया और बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।

संभागीय आयुक्त पत्रकारों के साथ किया डेयरी का निरीक्षण

जार होली स्नेह मिलन समारोह के दौरान संभागीय आयुक्त डॉ नीरज के. पवन ने डेयरी भ्रमण की कही बात का निभाया वादा

गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद

लूणकरणसर:- संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन की पहल पर गुरुवार को “जार” के दल में पत्रकारों ने उरमूल डेयरी का शैक्षणिक भ्रमण किया। डेयरी के प्रबंध संचालक बाबूलाल बिश्नोई ने पत्रकारों को दुग्ध पालकों से दूध प्राप्त होने से लेकर इसकी प्रोसेसिंग, पाश्चराइजेशन और पैकेजिंग तक की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने डेयरी के प्रमुख उत्पाद दूध,दही, छाछ,घी,श्रीखंड के निर्माण प्रक्रिया की जानकारी दी।

डेयरी के चेयरमैन नोपाराम जाखड़ ने बताया कि सभी उत्पादों के निर्माण में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है और गुणवत्ता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाता उन्होंने राज्य सरकार द्वारा गोपालकों को प्रति लीटर ₹5 की सब्सिडी दिए जाने को बेहद लाभकारी बताया व प्लांट की मशीनरी की जानकारी दी।

संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन ने कहा कि डेयरी के उत्पादों और इसकी शुद्धता की जानकारी आमजन तक पहुंचे इसके मद्देनजर यह शैक्षणिक भ्रमण करवाया गया है। उन्होंने कहा कि आगे भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरि शंकर आचार्य ने कहा कि भ्रमण से युवा पत्रकारों को डेयरी की कार्यप्रणाली से रूबरू होने का मौका मिला है।

बीकानेर प्रेस क्लब के अध्यक्ष जयनारायण बिस्सा ,जार के जिलाध्यक्ष श्याम मारू ने संगठन की गतिविधियों की जानकारी दी। प्रदेश उपाध्यक्ष भवानी जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया। जार के महासचिव अजीज भुट्टा ने आभार जताया। इस दौरान जार की ओर से संभागीय आयुक्त, डेयरी चेयरमैन, प्रबंध निदेशक, सहायक निदेशक (जनसंपर्क) और डेयरी के प्रशासनिक अधिकारी का सम्मान किया गया। इस अवसर पर संभागीय आयुक्त और डेयरी चेयरमेन ने डेयरी में वृक्षारोपण भी किया। जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक दिनेश चंद्र सक्सेना, डेयरी के प्रशासनिक अधिकारी सलीम भाटी, प्लांट मैनेजर भरत सिंह सहित पत्रकार मौजूद रहे ।

शहादत दिवस पर श्रदांजलि अर्पित

गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद
लूणकरणसर:-

23 मार्च 2023 को शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के शहादत दिवस पर लूणकरणसर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव डॉक्टर राजेंद्र मूंड के कार्यालय में श्रद्धासुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर डॉ राजेंद्र मूंड ने कहा कि युवा इन महापुरुषों की शहादत से प्रेरणा लें। इन शहीदों का बलिदान देश हमेशा याद रखेगा।


किसान नेता महिपाल सारस्वत ने कहा देश के नागरिकों को शहीदों के पदचिन्हो पर चलना चाहिए। श्रद्धांजलि सभा में पूर्व पीसीसी सदस्य आसाराम सारण, बंसी हुड्डा,अजय गोदारा ,रामदेव सारण, प्रदीप पोटलिया,निर्मल बेद, अरविंद जैन, महेंद्र मान, राजपाल सेवटा, जगदीश गोदारा, हेतराम गोदारा, गोपाल रोझ ने पुष्पांजलि अर्पण कार्यक्रम में मौजूद रहे ।

चुनाव से पहले भाजपा में बड़ा बदलाव, चितौड़ सांसद सी.पी जोशी बने प्रदेशाध्यक्ष

गीतांजलि पोस्ट/डेस्क टीम

जयपुर:- राजस्थान भाजपा ने चुनाव से पहले सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए बड़ा बदलाव किया है। राष्ट्रीय महामन्त्री व प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह की तरफ से जारी पत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा द्वारा राजस्थान प्रदेश भाजपा की कमान चितौड़ सांसद सी पी जोशी को सौंप दी हैं। सी पी जोशी को कमान सौंपकर भाजपा द्वारा एक नया संदेश दिया गया है।


एबीवीपी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले सीपी जोशी संघ के नजदीक माने जाते हैं। सतीश पूनिया R.S.S. बैकग्राउंड से ही आते हैं अब उनकी जगह उन्हीं जैसे सियासी बैकग्राउंड के नेता को राजस्थान में संगठन की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा द्वारा चुनाव से पहले इस बदलाव से अटकलों का बाजार गर्म हो चुका है।

आज होगी नवरात्रि की द्वितीय शक्ति माँ ब्रम्हचारिणी देवी की पूजा अर्चना

गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद

लूणकरणसर:-

संवत्२०८० चैत्र शुक्ल द्वितीया गुरुवार 23 मार्च 2023

द्वितीयं ब्रह्मचारिणी:-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥

:- मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप नवरात्र के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है।

पं.अनन्त पाठक:- ब्रह्मचारिणी का शाब्दिक अर्थ:- ब्रह्म अर्थात तपस्या और तप और चारिणी अर्थात आचरण करने वाली भगवती। जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया, वेदस्तत्त्वं तपो ब्रह्म- वेद, तत्व और तप। श् ब्रह्म श् शब्द का अर्थ है ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। यह स्वरूप श्वेत वस्त्र पहने दाएं हाथ में अष्टदल की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डल रहता है।

अपने पूर्व जन्म में ये राजा हिमालय के घर पुत्री रुप में उत्पन्न हुई थी। महादेव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने घोर तपस्या की थी । इन्होंने घर को त्यागकर निर्जन वन में विना आहार का सेवन किये तप किया था, इस कठिन तपस्या के कारण माता को तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी आदि नामों से संबोधित किया जाता है।

माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्त फल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।
इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है।
इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का पूजन पूर्ण श्रृद्धा से करने पर माता की कृपा से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है | तथा संकट और आपदों का विनाश होता है अगर आप प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता चाहते हैं, विशेष रुप से छात्रों को मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिये। इनकी कृपा से बुद्धि का विकास होता है। नौकरी और साक्षात्कार में सफलता दिलाती हैं मां ब्रह्मचारिणी क्योंकि ये तपस्वी वेष में हैं।

ब्रह्मचारिणी का परीक्षा में सफलता दिलाने का मंत्र:-
विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः।।

पूजन विधि:- प्रतिदिन की भाँति आवाहित देवी देवताओं के पूजन के बाद माँता का पूजन करें।
हाथों में फूल लेकर ध्यान करें ।
ध्यान मंत्र:
वन्देवांच्छितलाभाय चन्द्रर्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥
पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥
पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, पंच्चामृत, शुद्ध स्नान, वश्त्र, लाल चंदन, रोली,कुमकुम, अक्षत, पुष्प, सुगन्धित द्रव्य, धूप, दीप, नैवेद्य, फल,ताम्बूल, दक्षिणा से पूजन करके प्रार्थना करें।

कवच मंत्र:
त्रिपुरा में हृदयेपातुललाटेपातुशंकरभामिनी।
अर्पणासदापातुनेत्रोअर्धरोचकपोलो॥
पंचदशीकण्ठेपातुमध्यदेशेपातुमहेश्वरी॥
षोडशीसदापातुनाभोगृहोचपादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥

स्तोत्र मंत्र:
तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।
ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।
धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।

उपासना वा जप मंत्र:-
दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

प्रार्थना मन्त्र:-
वन्दे वांचछि लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम्।
जप माला कमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्
गौर वर्णा स्वाधिष्ठानास्थितां द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधानां ब्रह्मरूपां पुष्पालंकार भूषिताम्
पद्म वंदनापल्ल वाराधराकातं कपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यां स्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्।।

क्षमा प्रार्थना मन्त्र:-
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत।
यां गतिं सम्वाप्नोते न तां बह्मादयः सुराः॥
सापराधो स्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योहं यथेच्छसि तथा कुरु॥
अक्षानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्नयूनमधिकं कृतम्‌ ॥
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रेहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतमं जपम्‌।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥
या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।

हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर हुआ रंगारंग कार्यक्रम

गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा

सांभर लेक:- नववर्ष आयोजन समिति के तत्वाधान में हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर सांभर स्थित स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष दीनदयाल कुमावत थे। कार्यक्रम में देश के ख्यातिमान कलाकारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुतियां दी गई। कलाकारों की प्रस्तुति देखकर उपस्थित सभी लोग भाव विभोर हो गए।

दीनदयाल कुमावत ने अपने उदबोधन में कहा कि हमें अब अंग्रेजी नववर्ष की जगह हिंदू नववर्ष को हर्षोल्लास से मनाना चाहिए। नववर्ष आयोजन समिति द्वारा उपस्थित सभी अतिथियों का माल्यार्पण करके व शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। जयपुर से आए कलाकारों ने राधा कृष्ण और कृष्ण सुदामा की मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में सांभर – फुलेरा जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक विवेक शर्मा, विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष शिवजी राम कुमावत, आशीष गर्ग, कल्याण चौधरी सहित अनेक अतिथियों ने कार्यक्रम में अपनी शिरकत की।

हिंदू नववर्ष पर क्या है विशेष

गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद

जयपुर:- भारतीय नव वर्ष प्रारम्भ –
संवत २०८० चैत्र शुक्ल प्रतिपदा बुधवार 22 मार्च 2023

यज्ञोवै श्रेष्ठतमं कर्म।
स्वर्ग कामो यजेत्।

अग्निहोत्र है देवयज्ञ सर्वोपरि कर्म
सर्वहितकारी।
वायु मण्डल होता है शुद्ध सुख पाते सभी
प्राणधारी॥

यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म सर्वदा जो प्राणी अपनाता है।
लोक और परलोक सुधारे मन वांछित फल पाता है :-पण्डित अनंत पाठक

भारतीय नववर्ष का धार्मिक, पौरानिक व ऐतिहाशिक महत्व:-

चैत्रे मासि जगत् ब्रह्म ससर्ज प्रथमे हनि
शुक्ल पक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति॥

कहा जाता है कि ब्रह्मा ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की संरचना शुरू की।
उन्होंने इसे प्रतिपदा तिथि को प्रवरा अथवा
सर्वोत्तम तिथि कहा था। इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं।

इस दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्र घटस्थापन, ध्वजारोपण, वर्षेश का फल पाठ आदि विधि-विधान किए जाते हैं।
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसन्त ऋतु में आती है। इस ऋतु में सम्पूर्ण सृष्टि में सुन्दर छटा बिखर जाती है

संवत के महीनों के नाम आकाशीय नक्षत्रों के उदय और अस्त होने के आधार पर रखे गए हैं।

सूर्य में अग्नि और तेज हैं और चन्द्रमा में शीतलता, शान्ति और समृद्वि का प्रतीक सूर्य और चन्द्रमा के आधार पर ही सायन गणना की उत्पत्ति हुई है। इससे ऐसा सामंजस्य बैठ जाता है कि तिथि वृद्धि, तिथि क्षय, अधिक मास, क्षय मास आदि व्यवधान उत्पन्न नहीं कर पाते। तिथि घटे या बढ़े, लेकिन सूर्यग्रहण सदैव अमावस्या को होगा और चन्द्रग्रहण सदैव पूर्णिमा को ही होगा।

नया संवत्सर प्रारम्भ होने पर भगवान की पूजा
करके प्रार्थना करनी चाहिए। हे भगवान!
आपकी कृपा से मेरा एवं समस्त जीवों का वर्ष कल्याणमय हो, सभी विघ्न बाधाएँ नष्ट हों।

दुर्गा जी की पूजन घट स्थापन के साथ नूतन संवत् की पूजा करें। घर को वन्दनवार से सजाकर पूजा का मंगल कार्य संपन्न करें। कलश स्थापना और नए मिट्टी के बरतन में जौ बोए और अपने घर में पूजा स्थल में रखें।

एक प्राचीन मान्यता है कि आज के दिन ही भगवान राम जानकी माता को लेकर अयोध्या लौटे थे। इस दिन पूरी अयोध्या में भगवान राम के स्वागत में विजय पताका के रूप में ध्वज लगाए गए थे। इसे ब्रह्मध्वज भी कहा गया।

यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही देवी शक्तीके आदेश से सृष्टि की रचना की।

श्री विष्णु भगवान ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही प्रथम जीव अवतार (मत्स्यावतार) लिया था।

यह भी मान्यता है कि शालिवाहन ने शकों पर विजय आज के ही दिन प्राप्त की थी इसलिए शक संवत्सर प्रारंभ हुआ।

एक मान्यता यह भी है कि मराठा साम्राज्य के अधिपति छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्ष प्रतिपदा के दिन ही हिन्दू पदशाही का भगवा विजय ध्वज लगाकर हिंद साम्राज्य की नींव रखी।

धार्मिक दृष्टि से फल, फूल, पत्तियाँ, पौधों तथा वृक्षों का विशेष महत्व है। चैत्र मास में पेड़-पौधों पर नई पत्तियों आ जाती हैं तथा नया अनाज भी आ जाता है
जिसका उपयोग सभी देशवासी वर्ष भर करते हैं, उसको नजर न लगे, सभी का स्वास्थ्य उत्तम रहे, पूरे वर्ष में आने वाले सुख -दुःख सभी मिलकर झेल सकें ऐसी कामना ईश्वर से करते हुए नए वर्ष और नए संवत्सर के स्वागत का प्रतीक है ।

12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ।
महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है।

विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया।बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए।

प्राचीन संवत :
विक्रम संवत से पूर्व 6676 वर्ष पूर्व से शुरू हुए प्राचीन सप्तर्षि संवत को हिंदुओं का सबसे प्राचीन संवत माना जाता है, जिसकी विधिवत शुरुआत 3076 ईसवी पूर्व हुई मानी जाती है।

सप्तर्षि के बाद नंबर आता है कृष्ण के जन्म की तिथि से कृष्ण कैलेंडर का।

फिर कलियुग संवत का। कलियुग के प्रारंभ के साथ कलियुग संवत की 3102 ईसवी पूर्व में शुरुआत हुई थी।

विक्रम संवत :
इसे नव संवत्सर भी कहते हैं।
संवत्सर के पाँच प्रकार हैं
सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास।

विक्रम संवत में सभी का समावेश है।
इस विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई।
इसको शुरू करने वाले सम्राट विक्रमादित्य थे इसीलिए उनके नाम पर ही इस संवत का नाम विक्रम संवत है।
इसके बाद 78 ईसवी में शक संवत का आरम्भ हुआ।
नव संवत्सर :
जैसा ऊपर कहा गया कि वर्ष के पाँच प्रकार होते हैं।
मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क आदि सौरवर्ष के माह हैं। यह 365 दिनों का है। इसमें वर्ष का प्रारंभ सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से माना जाता है।

फिर जब मेष राशि का पृथ्वी के आकाश में भ्रमण चक्र चलता है तब चंद्रमास के चैत्र माह की शुरुआत भी हो जाती है। सूर्य का भ्रमण इस वक्त किसी अन्य राशि में हो सकता है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि चंद्रवर्ष के माह हैं।

चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है, जो चैत्र माह से शुरू होता है।
चंद्र वर्ष में चंद्र की कलाओं में वृद्धि हो तो यह 13 माह का हो जाता है। जब चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होकर शुक्ल प्रतिपदा के दिन से बढ़ना शुरू करता है तभी से भारतीय नववर्ष की शुरुआत मानी गई है।
सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को
चंद्रमास ही माना जाता है। फिर तीन ऐसे बढ़े हुए दिनों को मलमास या अधिमास कहते हैं।
लगभग 27 दिनों का एक नक्षत्रमास होता है। इन्हें चित्रा,स्वाति, विशाखा, अनुराधा आदि कहा जाता है।
वर्ष 360 दिनों का होता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।

नववर्ष की शुरुआत का महत्व:
नववर्ष को भारत के प्रांतों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार
मनाया जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण तिथियाँ मार्च और अप्रैल के महीने में आती हैं।
इस नववर्ष को प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
फिर भी पूरा देश चैत्र माह से ही नववर्ष की शुरुआत मानता है और इसे नव संवत्सर के रूप में जाना जाता है।
गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी
नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है।
१ जनवरी को मनाया जाने वाला विश्वव्यापी इसाई नववर्ष पश्चिमी सभ्यता के कारण हमारे समाज के लोग बहुत ही धूम धाम से मानते हैं ।
भारतीय हिंदू नववर्ष के विषय में जानकारी हो उसकी जानकारी आप तक गीतांजलि पोस्ट द्वारा साझा की गई है ।
आगामी 22 मार्च 2023 बुधवार को अपने हिंदू समाज का
नववर्ष है । चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के ऐतिहासिक महत्व को जानकर अपने भारतिय धार्मिक पौराणिक व ऐतिहासिक परंपरा का पालन करके भारतीय होने का गौरव प्राप्त करेंगे ।

जयपुर सहित कई जिलों में भूकंप के झटके हुए महसूस

गीतांजलि पोस्ट/डेस्क टीम

जयपुर:- मंगलवार रात करीब 10 बजकर 20 मिनट पर राजस्थान के जयपुर, अजमेर, अलवर, गंगानगर, बीकानेर सहित कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस हुए। सुरक्षा के लिहाज से लोग अपने घरों ले बाहर आ गए।
राजस्थान के साथ ही दिल्ली, यूपी, एमपी, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, बिहार में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। जानकारी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई है और भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान था।

सांभर को जिला बनाने के लिए आंदोलन जारी, क्षेत्रवासियों ने फिर किया चक्का जाम

क्षेत्र के बाजार चौथे दिन भी रहे बंद

गीतांजलि पोस्ट/विनय शर्मा

सांभर लेक:- सरकार द्वारा राजस्थान में नए जिले बनाए गए हैं। इन जिलों में सांभर लेक का नाम नहीं होने से क्षेत्र के लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा हैं। सांभर – फुलेरा जिला बनाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में हजारों क्षेत्रवासियों द्वारा लगातार सांभर को जिला नहीं बनाए जाने के विरोध किया जा रहा हैं। विरोध के रूप में क्षेत्र के बाजार चौथे दिन भी बंद रहे। जिला बनाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में आक्रोश रैली द्वारा कस्बे में घूमकर बुधवार को जयपुर कूच करने के लिए पीले चावल वितरित किए गए।

आक्रोश रैली के बाद क्षेत्रवासियों ने पृथ्वीराज सर्किल पर चक्का जाम कर दिया गया। चक्का जाम में सांभर के अलावा फुलेरा अनेक लोग पहुंचे। जिला बनाओ संघर्ष समिति द्वारा बुधवार को जयपुर कूच के लिए आह्वान किया गया।

विश्व गौरैया दिवस पर आमजन से किया गौरेया को बचाने का आग्रह

गीतांजलि पोस्ट/श्रेयांस बैद

लूणकरणसर:- गौरैया को संरक्षित एवं सम्मानित करने के लिए 20 मार्च को वर्ल्ड स्पैरो डे निर्धारित किया गया है ताकि गौरैया के साथ-साथ अन्य सामान्य पक्षियों की सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में आम लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके, ये कहना है भारत सरकार के भारतीय जीव कल्याण मानद प्रतिनिधि श्रेयांस बैद का। वे आज गोरैया आज संरक्षण के लिए जम्भेश्वर मन्दिर में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। बैद ने कहा इसके माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की सुंदरता को बचाया जा सकता है। दुनिया भर के कई देशों में गौरैया को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। लोग घरेलू गौरैया के संरक्षण का प्रयास कर रहे हैं एवं विश्व गौरैया दिवस के उपलक्ष्य में विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।

जीव प्रेमी ओम ज्याणी ने कहा कि इनकी संख्या में निरन्तर कमी आ रही है। इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाये जाने का प्रयास किया जा सकता है। उन्होंने कहा सघन व्रक्षरोपण, घरों में घोंसले, गर्मी में पानी मे जल व अनाज से भरे शिकोरे रखे जाए, जिससे इन्हें पर्याप्त भोजन मिल सके। चाइनीज मांझे के उपयोग के चपेट में आने ऐसे जीवों में निरंतर गिरावट आ रही है इसलिए ऐसे मांझे के उपयोग को न करे। इस दौरान वन्य जीव प्रेमियों ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान सुदेश बिश्नोई , सीताराम , प्रदीप सारण, सुमन ,गायत्री इत्यादि ने भी घरेलू चिड़िया गौरेया को बचाने की अपील की।